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Lucknow news | राज्यसभा चुनाव में सियासी पारा हुआ हाई, अखिलेश की डिनर पार्टी में 8 विधायक रहे गायब

उत्तर प्रदेश में राज्यसभा चुनाव के लिए वोटिंग से पहले सियासी पारा हाई हो गया है. सूत्रों के अनुसार, समाजवादी पार्टी के आठ विधायक अखिलेश यादव की डिनर पार्टी में शामिल नहीं हुए. वहीं दूसरी ओर बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए खेमे से भी कुछ विधायकों के नाराज होने की अटकलें हैं. जिसके बाद अब राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग की संभावना बढ़ गई है. इस वजह से क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों की सदस्यता को लेकर भी सवाल खड़े होने लगे हैं. दरअसल, सवाल उठ रहे हैं कि क्या कोई विधायक दूसरी पार्टी के प्रत्याशी को वोट कर सकता है? राजनीतिक के जानकारों के अनुसार, वोटर्स अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी पार्टी को वोट करने के लिए स्वतंत्र है. अगर विधायक अपनी पार्टी की जगह पर किसी दूसरे पार्टी के उम्मीदवार को वोट करता है तो इसे क्रॉस वोटिंग कहा जाता है. अब अगर ऐसा होता है तो क्या क्रॉस वोटिंग करने वालों की सदस्यता चली जाएगी? नियम के अनुसार किसी भी विधायक की सदस्यता स्वत: समाप्त नहीं होगी.
पार्टी अपने विधायकों पर ले सकती है एक्शन
क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायक के बारे में अगर पार्टी जानती है तो उसके खिलाफ एक्शन ले सकती है. इन सबके बीच एक और सवाल है कि क्या दूसरे दल के प्रत्याशी को वोट करने के बाद दलबदल कानून लागू होता है? इसका जवाब है- नहीं. जब तक सदस्य जिस पार्टी से विधायक है उस पार्टी से इस्तीफा देकर दूसरी पार्टी में शामिल नहीं होता है तब तक वह दलबदल कानून के दायरे से बाहर है.यानी देखा जाए तो किसी विधायक के क्रॉस वोटिंग करने मात्र से सदस्यता पर कोई खतरा नहीं है और किसी भी क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायक की सदस्यता नहीं जाएगी. ऐसे में अब अगर सपा के विधायक बीजेपी को और बीजेपी खेमे के विधायक सपा को वोट करते हैं तो इसके बाद भी उनकी सदस्यता को कोई खतरा नहीं है।।
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Meerut News | मेरठ में शहर काजी के चयन पर सियासत तेज, कारी शफीकुर्रहमान को किया गया मान्यता प्राप्त

मेरठ में शहर काजी के चयन पर सियासत तेज, कारी शफीकुर्रहमान को किया गया मान्यता प्राप्त
मेरठ में शहर काजी के चयन को लेकर सियासत गरमा गई है। मंगलवार को हापुड़ रोड स्थित एक मंडप में कारी शफीकुर्रहमान कासमी के समर्थन में एक अहम बैठक हुई, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। इस बैठक में सर्वसम्मति से कारी शफीकुर्रहमान को शहर काजी के रूप में मान्यता दी गई और आगे की प्रक्रिया पर विचार किया गया। इस फैसले के बाद अब सियासी हलचल तेज हो गई है।
शहर काजी चयन पर विवाद
दरअसल, हाल ही में दिवंगत शहर काजी प्रोफेसर जैनुस साजिद्दीन के बेटे डॉ. सालिकीन सिद्दीकी को शहर काजी बनाया गया था, जिसका शहर इमाम कारी शफीकुर्रहमान ने विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि शहर काजी पूरे शहर के लिए होता है, न कि किसी परिवार विशेष के लिए। उनका तर्क था कि कोई भी व्यक्ति केवल इसलिए काजी नहीं बन सकता क्योंकि वह पूर्व काजी का बेटा है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया था कि डॉ. सालिकीन सिद्दीकी इस जिम्मेदारी के योग्य नहीं हैं, क्योंकि वे हाफिज, मौलवी या कारी नहीं हैं।
कारी शफीकुर्रहमान ने अपने बयान में कहा , “कुछ लोग मिलकर किसी बच्चे को मुसलमानों पर थोप नहीं सकते। यह फैसला पूरे मुस्लिम समाज को करना चाहिए।” उन्होंने इस मामले को लेकर एक खुली बैठक बुलाने का आह्वान किया था। जो कि हापुड रोड पर की गई और वो ही हुआ जिसको लेकर सवाल उठ रहे थे, यहां कारी शफीकुर्रहमान को शहर काजी कुछ लोगो द्वारा मान लिया गया। और अब नया विवाद शुरू हो गया है, कारी शफीकुर्रहमान कासमी ने पूर्व में इस सीट को अपनी मर्जी से दिवंगत काजी को देने की बात कही और कहा कि उन्होंने उस वक्त अपनी उम्र कम होने के लिहाज से तत्कालीन दिवंगत शहर काजी को अपना पद दे कर कुर्बानी दी थी अब उनके बेटे को शहर काजी बनाया गया है जो सही नही है यानी अब वह भी काजी परिवार से कुर्बानी मांग रहे हैं कि काजी के पद को उनके लिए छोड़ दिया जाए।
प्रो. जैनुस साजिद्दीन की अंतिम विदाई में उमड़ा था जनसैलाब
इस विवाद की शुरुआत दिवंगत शहर काजी प्रोफेसर जैनुस साजिद्दीन की अंतिम विदाई के दौरान हुई थी। उनके जनाजे में भारी भीड़ उमड़ी थी, जिसमें न केवल मेरठ बल्कि आसपास के जिलों से भी लोग शामिल हुए थे। चिश्ती पहलवान कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-ख़ाक किए गए प्रो. साजिद्दीन को हर वर्ग का सम्मान प्राप्त था।
उनकी सादगी और धार्मिक समर्पण की मिसालें दी जाती थीं। उन्होंने अपने अंतिम दिनों में होली और रमज़ान के जुमा की नमाज के समय में बदलाव की अपील की थी, ताकि सांप्रदायिक सौहार्द बना रहे। उनके इस फैसले की सोशल मीडिया पर काफी प्रशंसा हुई थी।
आगे की राह और सियासी हलचल
अब जब कारी शफीकुर्रहमान को एक गुट द्वारा शहर काजी के रूप में मान्यता दे दी गई है, तो यह मामला और पेचीदा हो गया है। मुस्लिम समाज में इस फैसले को लेकर मतभेद गहराते जा रहे हैं। अब देखना होगा कि क्या डॉ. सालिकीन सिद्दीकी के समर्थन में कोई नया कदम उठाया जाता है या फिर कारी शफीकुर्रहमान की नियुक्ति पर मोहर लगती है।
मेरठ में इस मुद्दे को लेकर सियासी माहौल गरम हो चुका है, और आने वाले दिनों में यह मामला और तूल पकड़ सकता है।
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Lucknow News | भाजपा प्रदेश कार्यालय में पं. सुनील भराला ने भेंट की भगवान परशुराम जी की मूर्ति एवं चालीसा

भाजपा प्रदेश कार्यालय में पं. सुनील भराला ने भेंट की भगवान परशुराम जी की मूर्ति एवं चालीसा
राष्ट्रीय परशुराम परिषद का लक्ष्य: हर सनातन हिंदू के घर में भगवान परशुराम जी की मूर्ति स्थापित हो – पं. सुनील भराला
लखनऊ/मेरठ, 4 मार्च 2025 – उत्तर प्रदेश श्रम कल्याण परिषद के निवर्तमान अध्यक्ष एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता पं. सुनील भराला ने आज भाजपा प्रदेश कार्यालय, लखनऊ में वरिष्ठ पदाधिकारियों और कर्मचारियों को भगवान परशुराम जी की मूर्ति एवं चालीसा भेंट की।
इस दौरान भाजपा संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह, कार्यालय प्रभारी भारत दीक्षित, पूर्व संगठन मंत्री अशोक जी, शिवकुमार पाठक, कमल ज्योति (प्रधान संपादक), राजकुमार सहित कई वरिष्ठ भाजपा पदाधिकारी और कार्यालय के सुरक्षा गार्ड व कर्मचारी उपस्थित रहे।
राष्ट्रीय परशुराम परिषद का उद्देश्य
इस अवसर पर पं. सुनील भराला ने कहा कि राष्ट्रीय परशुराम परिषद का मुख्य उद्देश्य है कि हर सनातन हिंदू के घर में अन्य देवी-देवताओं के साथ भगवान श्री परशुराम जी की मूर्ति भी स्थापित हो। उन्होंने बताया कि परिषद की राष्ट्रीय शोध पीठ ने भगवान परशुराम जी के जन्मस्थान जनापाव (इंदौर) से जुड़े 56 स्थानों की खोज की है। इन स्थानों की जानकारी को प्रदर्शनी और शोध के माध्यम से लोगों तक पहुंचाने का कार्य किया गया है।
इसके अलावा, भगवान परशुराम जी द्वारा 21 ऐतिहासिक युद्धभूमियों पर आतताइयों के वध और साधु-संतों व पीड़ितों को न्याय दिलाने की गाथा को भी प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम में मौजूद प्रमुख व्यक्ति
इस आयोजन में राष्ट्रीय परशुराम परिषद के विभिन्न पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता भी उपस्थित रहे, जिनमें शामिल हैं:
श्री प्रकाश सेनानी मिश्रा – राष्ट्रीय सह संयोजक, सर्व व्यवस्था प्रमुख
श्री राघवेंद्र मिश्रा – प्रदेश महामंत्री संगठन, उत्तर प्रदेश
श्री सौरभ अवस्थी – क्षेत्रीय अध्यक्ष, अवध प्रांत
श्री प्रमिल मिश्रा – प्रदेश महामंत्री, परशुराम स्वाभिमान सेना
श्री मुनीष मिश्रा – व्यवस्था प्रमुख
श्रीमती अनु त्रिपाठी – परशुराम शक्ति वाहिनी
इस आयोजन के माध्यम से सनातन धर्म और भगवान परशुराम जी के प्रति श्रद्धा को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया गया।
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Dehli News | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के उल्लंघन के विरोध में प्रदर्शन की तैयारी

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के उल्लंघन के विरोध में प्रदर्शन की तैयारी
नई दिल्ली: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के कथित उल्लंघन के खिलाफ कदम उठाने का निर्णय लिया है। यह अधिनियम 15 अगस्त 1947 के बाद से सभी धार्मिक स्थलों की संरचना को बनाए रखने और सांप्रदायिक सौहार्द सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया था।
कांग्रेस ने हाल के दिनों में इस अधिनियम के उल्लंघन के प्रयासों पर चिंता जताई है। पार्टी का मानना है कि इस प्रकार के कदम न केवल संविधान के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के खिलाफ हैं, बल्कि देश में सामाजिक एकता को भी खतरे में डाल सकते हैं।
कांग्रेस नेता जरार उमर एडवोकेट ने बताया कि पार्टी जंतर मंतर, दिल्ली पर एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन आयोजित करने की योजना बना रही है। इस प्रदर्शन का उद्देश्य सरकार और संबंधित अधिकारियों का ध्यान इस ओर आकर्षित करना होगा कि पूजा स्थल अधिनियम, 1991 का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाए।
इस अधिनियम का उद्देश्य धार्मिक स्थलों की संरचना को संरक्षित करना, सांप्रदायिक सौहार्द को बनाए रखना, और ऐतिहासिक व सांस्कृतिक महत्व वाले स्थलों की पवित्रता को बनाए रखना है। पार्टी ने यह भी याद दिलाया कि राम जन्मभूमि विवाद को अधिनियम से अलग रखा गया था, ताकि उस समय का संवेदनशील मुद्दा प्रभावित न हो।
कांग्रेस ने देश की धर्मनिरपेक्षता और सांप्रदायिक शांति की रक्षा के लिए सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग की है। प्रदर्शन की तिथि और अन्य जानकारी जल्द ही सार्वजनिक की जाएगी।
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