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जनपद बिजनौर: गंगा जमुना तहज़ीब की मिसाल
बिजनौर: धामपुर से भाजपा विधायक अशोक राणा ने जनपद बिजनौर की गंगा जमुना तहज़ीब और आपसी भाईचारे को बनाए रखने की अपील की है। अपने प्रेस नोट में उन्होंने कहा कि भारत एक विविधताओं का देश है, जहां विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों की माला पिरोई गई है। विशेष रूप से हमारे प्रदेश में विभिन्न त्योहार गंगा जमुना तहज़ीब के साथ मनाए जाते हैं। यदि यह तहज़ीब देखनी हो तो बिजनौर जनपद इसकी एक उत्कृष्ट मिसाल है। यहां होली, दीपावली, ईद, मुहर्रम, रविदास जयंती, क्रिसमस आदि त्योहार आपसी सद्भावना और भाईचारे के साथ मनाए जाते हैं।
गंगा जमुना तहज़ीब का मतलब है वह संस्कृति जो गंगा और जमुना नदियों के किनारे बसे इलाकों में विकसित हुई है, जहां हिंदू और मुस्लिम समुदाय मिल-जुलकर रहते हैं और एक-दूसरे के त्योहारों में भाग लेते हैं। यह तहज़ीब सिर्फ धार्मिक सौहार्द ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक मेलजोल और मानवीय मूल्यों की भी प्रतीक है। बिजनौर जनपद इस तहज़ीब की एक सजीव मिसाल है, जहां लोग बिना किसी भेदभाव के एक-दूसरे के सुख-दुख में शामिल होते हैं।
कांवड़ यात्रा को लेकर जारी बयानबाजी के संदर्भ में उन्होंने कहा कि हरिद्वार से गंगा जल लेकर जब सभी कांवड़िये अपने शहर और गांव वापस लौटते हैं, तो इस जनपद के सभी नागरिकों द्वारा उनका स्वागत और सहयोग किया जाता है। लेकिन आजकल उकसाऊ बयानों से कांवड़ यात्रा शुरू होने से पहले ही राजनीति के एजेंडे के तहत सौहार्दपूर्ण वातावरण में ज़हर घोलने का प्रयास किया जा रहा है। मेरे विधानसभा क्षेत्र और जनपद में कभी किसी ने ऐसा बयान नहीं दिया जिससे कांवड़ यात्रा में कोई बाधा उत्पन्न हो। मैं सभी नागरिकों से अपील करता हूं कि वे पहले की तरह कांवड़ यात्रा में सहयोग करें और जनपद की गंगा जमुना तहज़ीब को बनाए रखें।
उन्होंने कहा कि आज जनपद में कुछ अधिकारी और कर्मचारी आमजन के प्रति ऐसा व्यवहार कर रहे हैं, जो सरकार और भाजपा संगठन की कार्यशैली के विपरीत है। जिले में तैनात ये अधिकारी और कर्मचारी एक छिपे एजेंडे के तहत सरकार और संगठन को बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं। मेरी सलाह है कि ये अधिकारी और कर्मचारी माननीय मुख्यमंत्री जी की सोच के अनुरूप आमजन के प्रति व्यवहार करें, अन्यथा मंडलवार हो रही समीक्षा में सभी प्राप्त शिकायतों को मुख्यमंत्री जी के समक्ष रखा जाएगा।
गंगा जमुना तहज़ीब केवल धार्मिक सहिष्णुता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज में विभिन्न समुदायों के बीच आपसी समझ, सम्मान और सहयोग की भावना को भी प्रोत्साहित करती है। बिजनौर में हिन्दू-मुस्लिम एकता के कई उदाहरण देखने को मिलते हैं, जहां लोग एक-दूसरे के त्योहारों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं और उनके रीति-रिवाजों का सम्मान करते हैं। यही कारण है कि बिजनौर को गंगा जमुना तहज़ीब की मिसाल कहा जाता है।
जनपद बिजनौर की यह संस्कृति न सिर्फ प्रदेश बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। यहाँ का आपसी भाईचारा और सौहार्दपूर्ण वातावरण यह साबित करता है कि धार्मिक और सांस्कृतिक विविधताओं के बावजूद लोग एकजुट होकर शांतिपूर्वक और प्रेमपूर्वक रह सकते हैं। अशोक राणा ने अंत में कहा कि हमें इस तहज़ीब को और मजबूती से आगे बढ़ाना चाहिए और किसी भी प्रकार के भेदभाव को खत्म करने का प्रयास करना चाहिए।
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मेरठ: हापुड़ अड्डा चौराहा बना जाम का अड्डा, ठेले-रेहड़ी और ई-रिक्शा वालों की मनमानी से यातायात व्यवस्था ठप।
मेरठ: हापुड़ अड्डा चौराहा बना जाम का अड्डा, ठेले-रेहड़ी और ई-रिक्शा वालों की मनमानी से यातायात व्यवस्था ठप।
मेरठ। शहर के प्रमुख हापुड़ अड्डा चौराहे पर यातायात व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है। ठेले-रेहड़ी और ई-रिक्शा वालों की मनमानी ने इस क्षेत्र को जाम का अड्डा बना दिया है। अधिकारियों के तमाम प्रयास और आदेशों के बावजूद हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे।
चौराहे पर बढ़ती अव्यवस्था।
हापुड़ अड्डा चौराहे पर ई-रिक्शा की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। ठेले-रेहड़ी वाले अब सड़क के बीचों-बीच सामान बेचने से भी नहीं हिचक रहे हैं। इस कारण राहगीरों और वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। नौचंदी, लिसाड़ी गेट और कोतवाली थाना क्षेत्र के इस व्यस्त इलाके में ट्रैफिक पुलिस की उदासीनता ने हालात और बिगाड़ दिए हैं।
आमजन की समस्या लगातार बनी हुई है
स्थानीय लोगों और वाहन चालकों का कहना है कि चौराहे पर अक्सर जाम लग जाता है, जिससे उनका समय और ऊर्जा दोनों बर्बाद होती हैं। पैदल चलने वाले लोगों को सड़क पार करने में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। “लगता है जैसे सड़क पर चलने का अधिकार अब ठेले और ई-रिक्शा वालों का हो गया है,” एक राहगीर ने नाराजगी जताई।
प्रशासनिक कार्रवाई नदारद।
हालांकि ट्रैफिक पुलिस और प्रशासन की ओर से अतिक्रमण हटाने के दावे किए जाते हैं, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। यह समस्या केवल यातायात को बाधित नहीं कर रही बल्कि आमजन की सुरक्षा के लिए भी खतरा बन गई है।
स्थायी समाधान की मांग।
स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि हापुड़ अड्डा चौराहे पर स्थायी समाधान के लिए सख्त कदम उठाए जाएं। ई-रिक्शा और ठेले-रेहड़ी वालों के लिए अलग से स्थान चिन्हित किया जाए ताकि यातायात सुचारू हो सके।
अब देखना यह है कि प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस इस गंभीर समस्या का समाधान कब तक निकालती है। फिलहाल, हापुड़ अड्डा चौराहा बदइंतजामी और अराजकता का प्रतीक बनता जा रहा है।
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Meerut : अब्दुल्लापुर स्वास्थ्य विभाग की जमीन पर कब्जे का आरोप, सीएमओं ने जांच बिठाई।
वार्ड 17 अब्दुल्लापुर: स्वास्थ्य विभाग की जमीन पर कब्जे का आरोप, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र किराए पर चलने को मजबूर
मेरठ। वार्ड 17 अब्दुल्लापुर में स्वास्थ्य विभाग की अपनी जमीन होते हुए भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र किराए के भवन में चल रहा है। इस मुद्दे पर बाबा समाजवादी साहब अंबेडकर वाहिनी के महानगर अध्यक्ष मुकेश कुमार जाटव ने 23 दिसंबर 2024 को जिला अधिकारी कार्यालय पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई।
पूरे मामले में शिकायत की गई थी।
मुकेश कुमार जाटव ने बताया कि वर्ष 2012 में जिला प्रशासन द्वारा 15वें वित्त आयोग के तहत परिवार कल्याण केंद्र के लिए ग्राम अब्दुल्लापुर में 300 वर्ग मीटर भूमि आवंटित की गई थी। हालांकि, इस जमीन पर सुषमा पत्नी सुरेंद्र ने कथित रूप से कब्जा कर लिया है और अब उस पर निर्माण कार्य जारी है।
इससे पहले तहसील और नगर निगम की टीम द्वारा की गई जांच में पुष्टि हुई थी कि परिवार कल्याण केंद्र की जमीन पर चारदीवारी और गेट बनाया गया है। स्थानीय लोगों और शिकायतकर्ताओं ने दावा किया है कि कब्जाधारी अब उस जमीन पर निर्माण कार्य तेज़ी से पूरा कर लेंटर डालने की तैयारी कर रहे हैं।
शिकायतकर्ता का आरोप चिकित्सा अधिकारी का प्रयास बेअसर, लेकिन सीएमओ हुए सख्त
चिकित्सा अधिकारी ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए स्वास्थ्य विभाग के केपी जैन को मौके पर भेजा, लेकिन निर्माण कार्य रोकने में अब तक कोई सफलता नहीं मिली है। इस मामले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी अशोक कटारिया ने एसपी देहात से पूरे मामले का संज्ञान लेने और पुलिस कार्रवाई करने के लिए पत्र लिखा है थाना भावनपुर पुलिस को अधिकृत किया गया है कैसे पूरे मामले में अग्रिम जांच कर कार्रवाई करें
ग्रामीणों ने की मांग, मामले का संज्ञान लेकर कार्रवाई की जाए और क्षेत्र में अस्पताल बनाया जाए
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि कब्जा हटाकर जमीन को अस्पताल के लिए उपयोग में लाया जाए। उन्होंने बताया कि वर्ष 2022 में सरकार द्वारा परिवार कल्याण केंद्र के निर्माण के लिए 30.42 लाख रुपये स्वीकृत किए गए थे, लेकिन जमीन पर कब्जे के कारण यह राशि अभी तक उपयोग में नहीं आ पाई है।
जिला प्रशासन से कार्रवाई की उम्मीद
ग्रामीणों और मुकेश कुमार जाटव ने जिला अधिकारी से इस मामले में हस्तक्षेप कर निर्माण कार्य को रुकवाने और कब्जा हटाने की मांग की है। साथ ही, परिवार कल्याण केंद्र का भवन जल्द से जल्द बनवाने की अपील की है ताकि स्थानीय निवासियों को स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ हो सकें।
स्थानीय निवासियों की आवाज
ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते प्रशासन ने कदम नहीं उठाया, तो कब्जाधारी लोग निर्माण कार्य पूरा कर लेंगे। इस पर जल्द से जल्द ठोस कार्रवाई की आवश्यकता है।
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मेरठ: वार्ड 17 में परिवार कल्याण केंद्र की जमीन पर कब्जे का मामला, जिला अधिकारी से शिकायत
मेरठ: वार्ड 17 में परिवार कल्याण केंद्र की जमीन पर कब्जे का मामला, जिला अधिकारी से शिकायत
मेरठ। बाबा समाजवादी साहब अंबेडकर वाहिनी के महानगर अध्यक्ष मुकेश कुमार जाटव ने आज 23 दिसंबर 2024 को जिला अधिकारी कार्यालय पहुंचकर वार्ड 17 अब्दुल्लापुर में परिवार कल्याण केंद्र की जमीन पर हो रहे अवैध कब्जे के मामले में शिकायत दर्ज कराई।
जमीन परिवार कल्याण केंद्र के लिए हुई थी आवंटित
वर्ष 2012 में जिला अधिकारी द्वारा 15वें वित्त आयोग के तहत ग्राम अब्दुल्लापुर में परिवार कल्याण केंद्र के लिए 300 वर्ग मीटर भूमि आवंटित की गई थी। इस भूमि पर पूर्व में शिकायतें मिलने के बाद तहसील और नगर निगम की टीम ने जांच की थी। उनकी रिपोर्ट के अनुसार, सुषमा पत्नी सुरेंद्र ने उक्त भूमि पर चारदीवारी और गेट बनाकर कब्जा किया था।
निर्माण कार्य जारी, रुकवाने की कोशिशें विफल
ग्रामीणों का कहना है कि वर्तमान में सुषमा द्वारा भूमि पर अवैध निर्माण कार्य किया जा रहा है। जब यह मामला चिकित्सा अधिकारी के संज्ञान में आया तो उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के के.पी. जैन को भेजकर कार्य रुकवाने का प्रयास किया। हालांकि, निर्माण कार्य अब भी जारी है, और कब्जाधारियों द्वारा जल्द ही लेंटर डालने की तैयारी की जा रही है।
ग्रामीणों की मांग: कब्जा हटाकर अस्पताल का निर्माण किया जाए
ग्रामीणों ने जिला अधिकारी से अपील की है कि परिवार कल्याण केंद्र के लिए आवंटित भूमि से कब्जा हटवाया जाए। उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 में अस्पताल निर्माण के लिए सरकार द्वारा 30.42 लाख रुपये स्वीकृत किए गए थे। इस धनराशि का उपयोग कर जल्द से जल्द परिवार कल्याण केंद्र का निर्माण शुरू कराया जाए ताकि ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिल सके।
महानगर अध्यक्ष मुकेश कुमार जाटव ने कहा, “यह मामला जनहित से जुड़ा है। अस्पताल निर्माण के लिए आवंटित जमीन पर कब्जा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जिला प्रशासन को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए ताकि स्वास्थ्य सेवाओं के लिए यह भूमि उपयोग में लाई जा सके।”
यह मामला अब जिला प्रशासन के संज्ञान में है, और ग्रामीणों को उम्मीद है कि जल्द ही इस मुद्दे का समाधान होगा।
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