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लिसाड़ी गाँव में जलभराव से त्रस्त ग्रामवासी: अंतिम संस्कार के लिए भी नहीं मिल रहा है कंधा

भारतीय किसान यूनियन अज़गर के प्रदेश प्रभारी पवन गुर्जर ने बताया कि नगर निगम वॉर्ड 8 के गाँव लिसाड़ी में स्थित अम्बेडकर भवन से आगे बढ़ने पर प्राथमिक विद्यालय, माता का मंदिर, और श्मशान घाट के मार्ग पर अत्याधिक जलभराव की समस्या है। इस जलभराव के कारण आज़ाद भारत में शवों को अंतिम संस्कार के लिए कंधा भी नसीब नहीं हो पा रहा है, और अन्य संसाधनों में शव को रखकर श्मशान घाट तक ले जाया जा रहा है। यह स्थिति सरकार, उसके अधिकारियों, और जन प्रतिनिधियों के लिए अत्यंत शर्मनाक है।
जलभराव के कारण प्राथमिक विद्यालय और स्थानीय घरों में पानी भर गया है, जिससे गंदगी फैल गई है। इस गंदगी की वजह से मच्छरों का प्रकोप बढ़ रहा है और बीमारियां फैल रही हैं। यहां तक कि जानवर भी बीमार हो रहे हैं, जिससे ग्रामीण और मज़दूर परिवार बुरी तरह प्रभावित हैं और उन्हें भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
गांववासियों की इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए दिनांक 17 जुलाई 2024 को प्रातः 10:30 बजे बड़ी संख्या में संगठन के सदस्य और ग्रामवासी जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर घेराव करेंगे। पवन गुर्जर ने यह भी कहा कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक प्रशासन इस जलभराव की समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकालता।
उन्होंने कहा कि प्रशासन की लापरवाही के कारण ही गाँव लिसाड़ी के लोग आज इस संकट का सामना कर रहे हैं। उन्होंने सरकार से अपील की है कि वह तत्काल प्रभाव से इस समस्या का समाधान करे ताकि गाँववासियों को इस कष्ट से मुक्ति मिल सके और उन्हें एक स्वस्थ और स्वच्छ पर्यावरण मिल सके।
प्रशासन और जन प्रतिनिधियों की लापरवाही
गाँव लिसाड़ी के लोगों का कहना है कि प्रशासन की उदासीनता और जन प्रतिनिधियों की लापरवाही के कारण यह समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी है। उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारियों को कई बार इस समस्या की जानकारी दी गई, लेकिन किसी ने भी इसे गंभीरता से नहीं लिया। परिणामस्वरूप, आज गाँववासी जलभराव और गंदगी की समस्या से त्रस्त हैं।
स्वास्थ्य और स्वच्छता की गंभीर समस्या
जलभराव के कारण गाँव में स्वास्थ्य और स्वच्छता की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। मच्छरों की संख्या में वृद्धि के कारण मलेरिया, डेंगू, और अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। इसके अलावा, पानी में रहने वाले जानवरों में भी बीमारी फैल रही है, जिससे ग्रामीणों के पशुधन को भी खतरा हो गया है।
आंदोलन की आवश्यकता
गाँववासियों का कहना है कि अब उनके पास आंदोलन के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा है। वे चाहते हैं कि प्रशासन उनकी समस्याओं को गंभीरता से ले और तुरंत कार्रवाई करे। इसके लिए वे 17 जुलाई को जिलाधिकारी कार्यालय का घेराव करेंगे और तब तक धरना देंगे जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं।
समाधान की दिशा में कदम
पवन गुर्जर ने कहा कि अगर प्रशासन इस समस्या का स्थायी समाधान निकालने में असमर्थ है, तो भारतीय किसान यूनियन अज़गर इस मुद्दे को उच्च स्तर पर उठाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर जल्द ही कोई कार्रवाई नहीं की गई, तो यह आंदोलन और व्यापक हो सकता है और इसकी जिम्मेदारी पूरी तरह से प्रशासन और जन प्रतिनिधियों की होगी।
ग्रामवासी इस उम्मीद में हैं कि प्रशासन उनकी समस्याओं को समझेगा और जल्द से जल्द उचित कदम उठाएगा। भारतीय किसान यूनियन अज़गर का यह कदम सरकार और प्रशासन को उनकी जिम्मेदारियों की याद दिलाने के लिए उठाया गया है ताकि गाँववासियों को उनके हक का जीवन मिल सके।
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मेरठ: हापुड़ अड्डा चौराहा बना जाम का अड्डा, ठेले-रेहड़ी और ई-रिक्शा वालों की मनमानी से यातायात व्यवस्था ठप।

मेरठ: हापुड़ अड्डा चौराहा बना जाम का अड्डा, ठेले-रेहड़ी और ई-रिक्शा वालों की मनमानी से यातायात व्यवस्था ठप।
मेरठ। शहर के प्रमुख हापुड़ अड्डा चौराहे पर यातायात व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है। ठेले-रेहड़ी और ई-रिक्शा वालों की मनमानी ने इस क्षेत्र को जाम का अड्डा बना दिया है। अधिकारियों के तमाम प्रयास और आदेशों के बावजूद हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे।
चौराहे पर बढ़ती अव्यवस्था।
हापुड़ अड्डा चौराहे पर ई-रिक्शा की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। ठेले-रेहड़ी वाले अब सड़क के बीचों-बीच सामान बेचने से भी नहीं हिचक रहे हैं। इस कारण राहगीरों और वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। नौचंदी, लिसाड़ी गेट और कोतवाली थाना क्षेत्र के इस व्यस्त इलाके में ट्रैफिक पुलिस की उदासीनता ने हालात और बिगाड़ दिए हैं।
आमजन की समस्या लगातार बनी हुई है
स्थानीय लोगों और वाहन चालकों का कहना है कि चौराहे पर अक्सर जाम लग जाता है, जिससे उनका समय और ऊर्जा दोनों बर्बाद होती हैं। पैदल चलने वाले लोगों को सड़क पार करने में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। “लगता है जैसे सड़क पर चलने का अधिकार अब ठेले और ई-रिक्शा वालों का हो गया है,” एक राहगीर ने नाराजगी जताई।
प्रशासनिक कार्रवाई नदारद।
हालांकि ट्रैफिक पुलिस और प्रशासन की ओर से अतिक्रमण हटाने के दावे किए जाते हैं, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। यह समस्या केवल यातायात को बाधित नहीं कर रही बल्कि आमजन की सुरक्षा के लिए भी खतरा बन गई है।
स्थायी समाधान की मांग।
स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि हापुड़ अड्डा चौराहे पर स्थायी समाधान के लिए सख्त कदम उठाए जाएं। ई-रिक्शा और ठेले-रेहड़ी वालों के लिए अलग से स्थान चिन्हित किया जाए ताकि यातायात सुचारू हो सके।
अब देखना यह है कि प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस इस गंभीर समस्या का समाधान कब तक निकालती है। फिलहाल, हापुड़ अड्डा चौराहा बदइंतजामी और अराजकता का प्रतीक बनता जा रहा है।
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Meerut : अब्दुल्लापुर स्वास्थ्य विभाग की जमीन पर कब्जे का आरोप, सीएमओं ने जांच बिठाई।

वार्ड 17 अब्दुल्लापुर: स्वास्थ्य विभाग की जमीन पर कब्जे का आरोप, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र किराए पर चलने को मजबूर
मेरठ। वार्ड 17 अब्दुल्लापुर में स्वास्थ्य विभाग की अपनी जमीन होते हुए भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र किराए के भवन में चल रहा है। इस मुद्दे पर बाबा समाजवादी साहब अंबेडकर वाहिनी के महानगर अध्यक्ष मुकेश कुमार जाटव ने 23 दिसंबर 2024 को जिला अधिकारी कार्यालय पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई।
पूरे मामले में शिकायत की गई थी।
मुकेश कुमार जाटव ने बताया कि वर्ष 2012 में जिला प्रशासन द्वारा 15वें वित्त आयोग के तहत परिवार कल्याण केंद्र के लिए ग्राम अब्दुल्लापुर में 300 वर्ग मीटर भूमि आवंटित की गई थी। हालांकि, इस जमीन पर सुषमा पत्नी सुरेंद्र ने कथित रूप से कब्जा कर लिया है और अब उस पर निर्माण कार्य जारी है।
इससे पहले तहसील और नगर निगम की टीम द्वारा की गई जांच में पुष्टि हुई थी कि परिवार कल्याण केंद्र की जमीन पर चारदीवारी और गेट बनाया गया है। स्थानीय लोगों और शिकायतकर्ताओं ने दावा किया है कि कब्जाधारी अब उस जमीन पर निर्माण कार्य तेज़ी से पूरा कर लेंटर डालने की तैयारी कर रहे हैं।
शिकायतकर्ता का आरोप चिकित्सा अधिकारी का प्रयास बेअसर, लेकिन सीएमओ हुए सख्त
चिकित्सा अधिकारी ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए स्वास्थ्य विभाग के केपी जैन को मौके पर भेजा, लेकिन निर्माण कार्य रोकने में अब तक कोई सफलता नहीं मिली है। इस मामले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी अशोक कटारिया ने एसपी देहात से पूरे मामले का संज्ञान लेने और पुलिस कार्रवाई करने के लिए पत्र लिखा है थाना भावनपुर पुलिस को अधिकृत किया गया है कैसे पूरे मामले में अग्रिम जांच कर कार्रवाई करें
ग्रामीणों ने की मांग, मामले का संज्ञान लेकर कार्रवाई की जाए और क्षेत्र में अस्पताल बनाया जाए
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि कब्जा हटाकर जमीन को अस्पताल के लिए उपयोग में लाया जाए। उन्होंने बताया कि वर्ष 2022 में सरकार द्वारा परिवार कल्याण केंद्र के निर्माण के लिए 30.42 लाख रुपये स्वीकृत किए गए थे, लेकिन जमीन पर कब्जे के कारण यह राशि अभी तक उपयोग में नहीं आ पाई है।
जिला प्रशासन से कार्रवाई की उम्मीद
ग्रामीणों और मुकेश कुमार जाटव ने जिला अधिकारी से इस मामले में हस्तक्षेप कर निर्माण कार्य को रुकवाने और कब्जा हटाने की मांग की है। साथ ही, परिवार कल्याण केंद्र का भवन जल्द से जल्द बनवाने की अपील की है ताकि स्थानीय निवासियों को स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ हो सकें।
स्थानीय निवासियों की आवाज
ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते प्रशासन ने कदम नहीं उठाया, तो कब्जाधारी लोग निर्माण कार्य पूरा कर लेंगे। इस पर जल्द से जल्द ठोस कार्रवाई की आवश्यकता है।
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मेरठ: वार्ड 17 में परिवार कल्याण केंद्र की जमीन पर कब्जे का मामला, जिला अधिकारी से शिकायत

मेरठ: वार्ड 17 में परिवार कल्याण केंद्र की जमीन पर कब्जे का मामला, जिला अधिकारी से शिकायत
मेरठ। बाबा समाजवादी साहब अंबेडकर वाहिनी के महानगर अध्यक्ष मुकेश कुमार जाटव ने आज 23 दिसंबर 2024 को जिला अधिकारी कार्यालय पहुंचकर वार्ड 17 अब्दुल्लापुर में परिवार कल्याण केंद्र की जमीन पर हो रहे अवैध कब्जे के मामले में शिकायत दर्ज कराई।
जमीन परिवार कल्याण केंद्र के लिए हुई थी आवंटित
वर्ष 2012 में जिला अधिकारी द्वारा 15वें वित्त आयोग के तहत ग्राम अब्दुल्लापुर में परिवार कल्याण केंद्र के लिए 300 वर्ग मीटर भूमि आवंटित की गई थी। इस भूमि पर पूर्व में शिकायतें मिलने के बाद तहसील और नगर निगम की टीम ने जांच की थी। उनकी रिपोर्ट के अनुसार, सुषमा पत्नी सुरेंद्र ने उक्त भूमि पर चारदीवारी और गेट बनाकर कब्जा किया था।
निर्माण कार्य जारी, रुकवाने की कोशिशें विफल
ग्रामीणों का कहना है कि वर्तमान में सुषमा द्वारा भूमि पर अवैध निर्माण कार्य किया जा रहा है। जब यह मामला चिकित्सा अधिकारी के संज्ञान में आया तो उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के के.पी. जैन को भेजकर कार्य रुकवाने का प्रयास किया। हालांकि, निर्माण कार्य अब भी जारी है, और कब्जाधारियों द्वारा जल्द ही लेंटर डालने की तैयारी की जा रही है।
ग्रामीणों की मांग: कब्जा हटाकर अस्पताल का निर्माण किया जाए
ग्रामीणों ने जिला अधिकारी से अपील की है कि परिवार कल्याण केंद्र के लिए आवंटित भूमि से कब्जा हटवाया जाए। उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 में अस्पताल निर्माण के लिए सरकार द्वारा 30.42 लाख रुपये स्वीकृत किए गए थे। इस धनराशि का उपयोग कर जल्द से जल्द परिवार कल्याण केंद्र का निर्माण शुरू कराया जाए ताकि ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिल सके।
महानगर अध्यक्ष मुकेश कुमार जाटव ने कहा, “यह मामला जनहित से जुड़ा है। अस्पताल निर्माण के लिए आवंटित जमीन पर कब्जा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जिला प्रशासन को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए ताकि स्वास्थ्य सेवाओं के लिए यह भूमि उपयोग में लाई जा सके।”
यह मामला अब जिला प्रशासन के संज्ञान में है, और ग्रामीणों को उम्मीद है कि जल्द ही इस मुद्दे का समाधान होगा।
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