National
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने संसद में पेश किया 2024-25 का केंद्रीय बजट
23 जुलाई 2024 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने लोकसभा में बहुप्रतीक्षित केंद्रीय बजट 2024-25 पेश किया। यह प्रस्तुति, जो 1 घंटे और 28 मिनट तक चली, ने राष्ट्र के लिए वित्तीय खाका प्रस्तुत किया, जिसमें आर्थिक वृद्धि और विकास को बनाए रखने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को उजागर किया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और विपक्ष के नेता राहुल गांधी जैसे प्रमुख राजनीतिक हस्तियां बजट प्रस्तुति के दौरान उपस्थित थे और उन्होंने वित्तीय वार्षिक बयान को ध्यानपूर्वक सुना। इस सभा ने भारत के भविष्य के आर्थिक परिदृश्य को आकार देने में बजट के महत्व को रेखांकित किया।
जयशंकर ने ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री वॉन्ग के साथ फोन पर हुई चर्चा
2024-25 के बजट की आधारशिला बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए सरकार की तीसरी पारी में प्राप्तियों और आकांक्षाओं पर जोर थी। चुनौतीपूर्ण वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों और व्यापक मुद्रास्फीति के बावजूद, भारत ने अपनी मजबूत आर्थिक वृद्धि के साथ एक उल्लेखनीय अपवाद स्थापित किया है। यह प्रतिरोधक क्षमता सीतारमण के संबोधन की एक प्रमुख विशेषता थी, जो विश्वव्यापी आर्थिक उथल-पुथल के बीच भारत की समृद्धि को दर्शाती है।
बजट में नौ प्रमुख प्राथमिकताओं को रेखांकित किया गया, जिनमें शहरी विकास, बुनियादी ढांचे को बढ़ावा, नवाचार, अनुसंधान और विकास, और अगली पीढ़ी के सुधार आदि शामिल थे। इन प्राथमिकताओं का उद्देश्य सरकार के विकसित भारत पहल को आगे बढ़ाना है, जो सतत आर्थिक और सामाजिक प्रगति के माध्यम से भारत की वैश्विक स्थिति को ऊंचा करने की एक व्यापक योजना है।
इस वर्ष के बजट की एक विशिष्ट विशेषता युवा और महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए पांच प्रमुख योजनाओं की शुरुआत थी। ये योजनाएं बेहतर अवसर प्रदान करने, कौशल बढ़ाने और उद्यमिता का समर्थन करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं, जिससे समावेशी वृद्धि और विकास को बढ़ावा मिल सके।
बजट ने बिहार और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों को प्रमुख रूप से संसाधनों का आवंटन किया, जिससे बुनियादी ढांचे के विकास और तीर्थयात्रा समर्थन के मामले में महत्वपूर्ण लाभ सुनिश्चित हो सके और इन स्थानों को पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित किया जा सके। विशेष रूप से, उत्तर पूर्वी बेल्ट की ओर एक रणनीतिक बदलाव हुआ है, जिसमें बिहार, झारखंड, ओडिशा और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों को केंद्रित ध्यान मिला है। इस कदम से क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करने और संतुलित क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देने की उम्मीद है।
संक्षेप में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन द्वारा प्रस्तुत केंद्रीय बजट 2024-25 एक दूरदर्शी खाका है जिसका उद्देश्य विकसित भारत की दृष्टि को प्राप्त करना है। इसमें आर्थिक वृद्धि, सामाजिक समावेशन और क्षेत्रीय विकास के लिए एक स्पष्ट मार्ग निर्धारित किया गया है, जो एक समृद्ध और मजबूत भारत के निर्माण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को पुन: पुष्टि करता है।
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Dehli News | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के उल्लंघन के विरोध में प्रदर्शन की तैयारी
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के उल्लंघन के विरोध में प्रदर्शन की तैयारी
नई दिल्ली: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के कथित उल्लंघन के खिलाफ कदम उठाने का निर्णय लिया है। यह अधिनियम 15 अगस्त 1947 के बाद से सभी धार्मिक स्थलों की संरचना को बनाए रखने और सांप्रदायिक सौहार्द सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया था।
कांग्रेस ने हाल के दिनों में इस अधिनियम के उल्लंघन के प्रयासों पर चिंता जताई है। पार्टी का मानना है कि इस प्रकार के कदम न केवल संविधान के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के खिलाफ हैं, बल्कि देश में सामाजिक एकता को भी खतरे में डाल सकते हैं।
कांग्रेस नेता जरार उमर एडवोकेट ने बताया कि पार्टी जंतर मंतर, दिल्ली पर एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन आयोजित करने की योजना बना रही है। इस प्रदर्शन का उद्देश्य सरकार और संबंधित अधिकारियों का ध्यान इस ओर आकर्षित करना होगा कि पूजा स्थल अधिनियम, 1991 का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाए।
इस अधिनियम का उद्देश्य धार्मिक स्थलों की संरचना को संरक्षित करना, सांप्रदायिक सौहार्द को बनाए रखना, और ऐतिहासिक व सांस्कृतिक महत्व वाले स्थलों की पवित्रता को बनाए रखना है। पार्टी ने यह भी याद दिलाया कि राम जन्मभूमि विवाद को अधिनियम से अलग रखा गया था, ताकि उस समय का संवेदनशील मुद्दा प्रभावित न हो।
कांग्रेस ने देश की धर्मनिरपेक्षता और सांप्रदायिक शांति की रक्षा के लिए सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग की है। प्रदर्शन की तिथि और अन्य जानकारी जल्द ही सार्वजनिक की जाएगी।
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Meerut News | अवैध अस्पतालों पर इलाहाबाद हाई कोर्ट सख्त, राज्य सरकार से कार्यवाही रिपोर्ट तलब
अवैध अस्पतालों पर इलाहाबाद हाई कोर्ट सख्त, राज्य सरकार से कार्यवाही रिपोर्ट तलब
मेरठ: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मेरठ निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता अंकुश चौधरी द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मेरठ में चल रहे अवैध अस्पतालों के खिलाफ राज्य सरकार से कार्यवाही की विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि मेरठ में 100 से अधिक अस्पताल अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुनील चौधरी ने मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि मेरठ में 350 अस्पतालों में से केवल 250 ही मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) के अंतर्गत पंजीकृत हैं। उन्होंने आरटीआई के माध्यम से प्राप्त जानकारी का हवाला देते हुए बताया कि 2018-19 में सिर्फ 8 और 2019-20 में मात्र 4 अस्पताल ही अग्निशमन विभाग में पंजीकृत थे।
अधिवक्ता ने यह भी बताया कि इन अस्पतालों को आग से सुरक्षा के मानकों को पूरा करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन उनमें से कई अस्पताल अब भी इन नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं।
पूर्व घटनाओं से सबक नहीं लिया गया
याचिकाकर्ता ने हाल ही में झांसी के एक अस्पताल में आग लगने की घटना का जिक्र किया, जिसमें 12 नवजात बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई थी। अधिवक्ता ने यह तर्क दिया कि ऐसे मामलों में प्रशासन की लापरवाही के कारण अस्पतालों में आग लगने की घटनाएं बार-बार हो रही हैं।
हाई कोर्ट का सख्त रुख
अदालत ने पहले भी इस मामले में सरकार से जवाब तलब किया था। हालांकि, वर्ष 2020 में सरकार ने कुछ अस्पतालों को केवल नोटिस जारी कर मामला खत्म कर दिया था। अब हाई कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि 22 जनवरी, 2024 तक उत्तर प्रदेश अग्नि निवारण अधिनियम, 2005 के अंतर्गत उठाए गए कदमों की विस्तृत रिपोर्ट पेश की जाए।
इस मामले में अगली सुनवाई 22 जनवरी को होगी, जिसमें अदालत सरकार की कार्यवाही का मूल्यांकन करेगी।
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Meerut News | सुभारती विश्वविद्यालय में फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन
सुभारती विश्वविद्यालय में फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन
मेरठ। स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय के फैकल्टी डेवलपमेंट सेल द्वारा ‘‘अनुसंधान में नैतिकता का महत्व’’ विषय पर एक संकाय विकास कार्यक्रम (फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम) आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। इस अवसर पर प्रो. डॉ. आर. के. घई, प्रो. डॉ. वैभव गोयल भारतीय और प्रो. डॉ. रीना बिश्नोई मौजूद रहे।
कार्यक्रम की संयोजिका प्रो. डॉ. रीना बिश्नोई ने अतिथियों और संकाय सदस्यों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। प्रो. डॉ. आर. के. घई ने विश्वविद्यालय के फैकल्टी डेवलपमेंट सेल की भूमिका और उद्देश्य पर चर्चा की, जो संकाय सदस्यों के सतत विकास के लिए कार्यरत है।
प्रमुख अतिथि प्रो. डॉ. वैभव गोयल भारतीय ने ‘‘अनुसंधान में नैतिकता का महत्व’’ विषय पर विचार व्यक्त किए। उन्होंने अनुसंधान में नैतिकता के नियमों, सही और गलत के बीच अंतर और शोधार्थियों के लिए आचार संहिता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने शोध में नैतिकता को अनुसंधान की सफलता के लिए आवश्यक बताया।
कार्यक्रम का समापन डॉ. प्रेमचन्द्र के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। इस आयोजन में विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों के शिक्षकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। कार्यक्रम की सफलता में सोनल जैन, शालिनी गोयल, आशीष सिरोही, रोबिन भारद्वाज और महिपाल का विशेष योगदान रहा।
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